इंदौर। भगवान हमेशा सबसे साथ रहते हैं पर निर्मल मन और पवित्र दृष्टि नहीं होने के कारण माया में फंसे व्यक्ति को उनका आभास नहीं होता है। निर्मल मन और आंखें बच्चों की होती हैं। रामायण में भी कहा है- निर्मल मन जन सो मोही पावा, मोही कपट छल-छिद्र न भावा... आज का व्यक्ति कपटी है, छल-छिद्री है। जनता की भावना का शोषण करने के लिए किसी भी हद तक गिर जाता है, इनमें अधिकांश संख्या नेताओं की हैं। अमान्य व्यक्तियों से प्रवचन करवाना, यज्ञ करवाना, पूजा करवाना, कोई वैदिक मान्यताओं को न मानने की गलत परंपरा चल पड़ी है।
एरोड्रम के पास, दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ के प्रभारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने प्रवचन में यह बात कही। शुरुआत में व्यासपीठ का पूजन पं. राजेश शर्मा, योगेंद्र जोशी, जीतू बिजोरिया, विकास यादव आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
केवल निर्मल मन से पाया जा सकता है भगवान को